सम्वेदना के स्वर

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Thursday, May 27, 2010

बुद्ध पूजने की चीज़ नहीं हैं - बुद्धत्व तक पहुंचना है !!

27 मई 2010
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर
सभी को बधाई!
बुद्ध के सन्दर्भ में बधाई जैसे शब्द बौने प्रतीत होते हैं!
बुद्ध का इस धरती पर आना, एक अनूठी घटना है!!

बुद्ध हमारी चेतना को झंझोड़ जाते हैं
बुद्ध का कहना कि
“संसार मे दुःख है, दुःख का कारण है और कारण का उपाय है”,
हमारी सोच को आगे ले जाता है.
बुद्ध के बाद, पहली बार यह सोच आयाम लेती है कि “बुद्धत्व तक पहुंचना”, मनुष्य जीवन की पराकाष्ठा है.
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बुद्ध के चरणों मे समर्पित कुछ पंक्तियां
 
तलाश में हैं हम सब.
कुछ न कुछ तलाशते – जीवन भर.

कोई धन- कोई मन
कोई पद- कोई शक्ति का मद
कोई घर- कोई वर
कोई सौन्दर्य- कोई शांति.
जितने लोग, उतनी भ्रांति

कितना अजीब है!! तलाशते तलाशते हम सब
अपनी अपनी इच्छाओं के कुँए में गिरते अंतत:
और इसी तरह अंत होता,
हम सभी का...

सोचा नहीं हमने कभी कि तलाशें
इस “तलाश” को भी 
हमें लील जाने वाली
इस “तलाश” के इतिहास को भी.

कहीं ऐसा तो नहीं
हमारी तलाश झूठी हो ?
हर चीज़ को मचलने वाले
“बचपन के मन” की छाप
दिल से अभी तक मिटी न हो?

तलाश की तलाश बहुत जरुरी है
क्यों छीन ले झूठ
उस “जीवन-सत्य” को,
उस “बुद्धत्व” को...
जिसकी अनुभूति ही
हम सब की परिणति है.

20 comments:

Raravi said...

बुद्ध पूर्णिमा - वैशाख माह की पूर्णिमा !!
आपकी कविता ने मेरे मन को छुआ, मैं भी कभी कभी सोचता हूँ, क्या तलाश है, बचपन का मन समय के साथ विकसित ना हुआ, और अब भी बस सबकुछ चाहिए बगैर सोचे कि क्यों.

इस शुभ दीं पर आएँ हम पल भर को ठहरें और विचारें कि किसकी तलाश है और यह तलाश ही क्या है?
मैं आपकी कविता कि एक प्रिंट प्रति ले रहा हूँ. आपकी अनुमति होगी ऐसा मानता हूँ.
राकेश रवि.

Rajeev Bharol said...

"सोचा नहीं हमने कभी की तलाशें"
बहुत अच्छी बात कही है.
श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में आता है की जो परमात्मा को भूले बैठे हैं वे वो लोग हैं जिन्हें परमात्मा ने खुद भुलावे में रखा है और परमात्मा जिन्हें मिला है वो वे लोग हैं जिनसे परमात्मा खुद मिलना चाहता है.

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया!!

बुद्ध पूर्णिमा की बधाई!!

श्यामल सुमन said...

सहमत हूँ आपसे। सुन्दर भाव।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

VICHAAR SHOONYA said...

bahut sundar vichar.

Arvind Mishra said...

बुद्ध पूर्णिमा की बधाई -बुद्ध का अवतरण मानव करूणा ,विवेक और कल्याण का प्रागट्य है !

संजय भास्‍कर said...

आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,

kunwarji's said...

बुद्ध-मयी करते आपके ये विचार...सुन्दर...

कुंवर जी,

कविता रावत said...

बुद्ध पूर्णिमा के हार्दिक शुभकामनाएँ
.. विश्वशांति, अहिंसा, करुणा, मैत्री और भाईचारे का जो सन्देश बुद्ध ने दिया उसकी आज के समय में प्रासंगिकता बढ़ गयी है .....
सार्थक प्रस्तुति के लिए धन्यवाद

दिगम्बर नासवा said...

बुध पूर्णिमा पर सच्चा और सार्थक संदेश देती आपकी रचना बहुत अच्छी लगी ....

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

चैतन्य बाबू , एक दम सटीक टाइटिल दिए है आप आज के दिन के लिए... बुद्ध कोई पूजने की चीज़ नहीं हैं, बुद्धत्व तक पहुँचना है. हम सब तो बस सोए हुए आदमी हैं, अऊर सोया हुआ अदमी एक जागृत आदमी का व्याख्या कहाँ से अऊर कईसे कर सकता है. भाई राजेश रेड्डी का शेर हैः
गौतम के बाद दूसरा गौतम नहीं हुआ,
निकले तो बेशुमार हैं घर बार छोड़कर.
बुद्ध पूर्णिमा के पर्व को परनाम!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर प्रस्तुति.....बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें

Apanatva said...

aapka itana apanapan itna sneh dhany ho gayee mai to .
kamaal kee urdu .........:)
yatra bahut achee rahee . Bahut sunder continent aur country hai Australia aur utne hee samvedansheel aur achhe insaan hai yaha ke rahne wale.......
par media ko kaun samjhae.......
vacation par ye the iseese laptop sath nahee legayee thee .kuch samay lagega kuch choote na ye hee koshish karungee ..........
aaj kee rachana ek sarthak prayas hai jagrat karne ka par sacchai to ye hai ki soye ko jaga sakte hai par jagte ko jagana bada mushkil hai.

aasheesh aur shubhkamnaesada aapke sath hai.........

Nishant said...

अति सुन्दर.
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आज मैंने भी भगवान् बुद्ध का एक प्रसंग पोस्ट किया है.
आप शायद मेरे ब्लौग पर अभी तक नहीं आये हैं. आइये, आपको अच्छा लगेगा.

Dr Prabhat Tandon said...

सही लिखा आपने ---बुद्ध पूजने की चीज नही है ..बुद्द्ध्त्व तक पहुंचने का मार्ग ही बुद्ध के प्रति सही आदर भाव उनकेदिये उपदेशों पर अमल करना है । और यह मार्ग उन आठ अष्टागिक मार्ग और उन पाँच उपदेशों का पालन जो आज भी उतने ही प्रसांगिक हैं जितने कल थे ...

स्वप्निल तिवारी said...

tathagat ne bhi khud ko kabhi pujwana nahi chaha...wo to bas talaash me rahe umra bhar ..aur apni talaash me jo paya use baantte rahe.. talaash ki prerna dete rabko .. der se pahuncha hun ...magar waqt pe pahuncha hun.. :)

soni garg goyal said...

काफी अच्छी पंक्तिया लिखी है .......
gr8 totally different from others .........

अनामिका की सदायें ...... said...

budh purnima par sunder prastuti...bachpan ka man shabd padh kar Amrita Pritam ji ki likhi ek baat yaad aa gayi....ki hamara bachpan ka man hamare ander kahin chhupa rahta hai...jo tamaam umr hamare sath chalta hai...aur jaha mauka padta hai...hamare saamne aa khada hota he.

acchhi rachna.badhayi.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आपने एक महत्वपूर्ण बात कही है...

रचना बोधगम्य है. बस कुछ ऐसी बाते चलती रहे इस ब्लॉगजगत में भी... कल्याण की राह बनाने के लिए आप का बहुत धन्यवाद!

अरुणेश मिश्र said...

प्रेरक ।

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